Tuesday, September 1, 2020

bundeli chutkule बुदेली चुटकुले

 (1) मास्साब - लरका हरो जो बताव अगर हम शाक सब्जी खात है तौ हम शाकाहारी भये कै मांसाहारी ?

      छात्र - मास्साब😉😉😉😉 मांसाहारी भये। 
      
       मास्साब - कारे कैसे भये ?
      
      छात्र - काये से आप हम औरन को दिमाग खात रत ईसे भये मांसाहारी 😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😝😝😝😝😝😝

(२ )- लपूटे - काये भज्जा कलूटे दारू पीवे से हमयी खासी चली जे का 

        कलूटे - सिर्री काउ को तें दारु की बात कर रओ हमाओ तो घर मकान खेत और तो और दारी लुगाई तक लौ चली गई ते खांसी की बात कर रओ 😆😆😆😆😆😆

लपूटे - हैं 😁😁😁😁😁😁😁😁😁😁😁😁😁😁😁😁


(3 ) पप्पू - काये कक्कू तुम तुम पास हो गए का ?

कक्कू - हओ हम पास हो गए और सब क्लास के लरका पास हो गए लेकिन हमायीं मैडम पास नई हो पाई 

पप्पू - काये ??????

कक्कू - बे अबै भी ओई क्लास में पड़ा रई 😅😅😅😅😅😅😅😅😅😅




(4 ) एक  बार की बात है बुंदेलखंड में  आदमी को भओ ब्याव अब रात में दोनों लोग लुगाई कमरा में परे ते तो  लुगाई ने देखो कै सात खूटन पे रंग बिरंगी साड़ी टंगी और एक खूंटा खाली है तो 

लुगाई ने अपने आदमी से पूछा - काये जो बताओ जो एक ठाउ खूंटा खाली काये है इपे कछु टांग देते ,

तब आदमी रोते हुए बोला - अब कछु न पूछो हमाये सात ब्याव भये ते बे सब एक एक करके के भगवान् खों प्यारी हो गयी सो जे उनकी याद में टांग दईं अब जोन खाली खूंटा बचो उस पे तुमाइ साड़ी टाँगे। 


तब लुगाई बोलती है - अरे चलो जाओ छोड़ दो बे भपके अब हमाई साड़ी नहीं तुमाओ पाजामा टंग जे है हम बुंदेलखंडी लुगाई आय 😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛😛

Thursday, December 12, 2019

झांसी जिले के बारे में रोचक जानकारी

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इतिहास

झाँसी शहर, पहुंज और बेतवा नदी के बीच स्थित वीरता, साहस और आत्म सम्मान का प्रतीक है। ऐसा कहा जाता है कि  प्राचीन काल में झाँसी, छेदी राष्ट्र, जेजक भुकिट, झझोती और बुंदेलखंड क्षेत्र में से एक था ।
झांसी, चंदेल राजाओं का गढ़ था | बलवंत नगर इस स्थान का नाम था। लेकिन 11 वीं सदी में झाँसी का महत्व कम हो गया | 17 वीं शताब्दी में ओरछा के राजा बीर सिंह देव के शासनकाल में फिर से झाँसी की शोहरत बढ़ी। राजा बीर सिंह देव के मुगल सम्राट जहांगीर के साथ अच्छे संबंध थे| सन‍‍्  1613 में राजा बीर सिंह देव ने झाँसी किला का निर्माण किया। सन‍‍् 1627 में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र जुझार सिंह ने सिंहासन संभाला |
पन्ना के महाराजा छत्रसाल बुंदेला एक अच्छे प्रशासक और एक बहादुर योद्धा थे। सन‍‍् 1729 में मोहम्मद खान बंगाश ने छत्रसाल पर हमला किया। पेशवा बाजी राव (I) ने महाराजा छत्रसाल की मदद की और मुगल सेना को हराया | आभार के रूप में महाराजा छत्रसाल ने अपने राज्य का हिस्सा मराठा पेशवा बाजी राव (I) को पेश किया व झांसी को इस भाग में शामिल किया गया।
सन‍‍्  1742 में नरोशंकर को झांसी का सूबेदार बनाया गया। 15 वर्षों के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने न केवल झांसी किले का प्रसार किया,  जो कि रणनीतिक महत्व का था, बल्कि कुछ अन्य भवनों का भी निर्माण किया। किले का विस्तारित हिस्सा शंकरगढ़ कहलाता है | सन‍‍्  1779 में नरोशंकर को पेशवा ने वापस बुला लिया । उसके बाद माधव गोविंद काकर्दी और फिर बाबूलाल कन्हाई को झांसी का सूबेदार बनाया गया।
सन‍‍् 1766 में, विश्वास राव लक्ष्मण को झांसी का सूबेदार बनाया गया । उनकी अवधि सन‍‍्  1766 से 1769 तक रही । उसके बाद रघुनाथ राव (द्वितीय) नेवलकर को झांसी के सूबेदार नियुक्त किया गया था। वह बहुत सक्षम प्रशासक थे | उन्होंने राज्य के राजस्व में वृद्धि की। महालक्ष्मी मंदिर और रघुनाथ मंदिर उनके द्वारा बनाए गए थे। अपने निवास के लिए उन्होंने शहर में एक सुंदर इमारत, रानी महल का निर्माण किया। सन‍‍्  1796 में रघुनाथ राव ने अपने भाई शिवराव हरि के पक्ष में सूबेदारी को सौंप दिया।
सन‍‍्  1803 में ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा के बीच एक संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे।
शिव राव की मृत्यु के बाद उनके बड़े पुत्र रामचंद्र राव को झांसी का सूबेदार बनाया गया। वह एक अच्छा प्रशासक नहीं था | रामचंद्र राव की मृत्यु सन‍‍् 1835 में हुई। उनकी मृत्यु के बाद रघुनाथ राव (III) उनके उत्तराधिकारी बने। सन‍‍् 1838 में रघुनाथ राव (III) की भी मृत्यु हो गई | अंग्रेज शासकों ने गंगाधर राव को झांसी के राजा के रूप में स्वीकार किया। रघुनाथ राव (III) की अवधि के दौरान अकुशल प्रशासन के कारण झांसी की वित्तीय स्थिति बहुत खराब हो चुकी थी ।
राजा गंगाधर राव एक बहुत अच्छे प्रशासक थे। वह बहुत उदार और सहानुभूतिपूर्ण थे। उन्होंने झांसी को बहुत अच्छा प्रशासन दिया | उनकी अवधि के दौरान झांसी की स्थानीय आबादी बहुत संतुष्ट थी।
सन‍‍् 1842 में राजा गंगाधर राव ने मणिकर्णिका से शादी की।  विवाह के बाद मणिकर्णिका को नया नाम लक्ष्मी बाई दिया गया, जिसने सन‍‍् 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ सेना का नेतृत्व किया। उन्होंने सन‍‍् 1858 में भारतीय स्वतंत्रता के कारण अपना जीवन बलिदान किया।
सन‍‍् 1861 में ब्रिटिश सरकार ने झांसी किला और झांसी शहर को जीवाजी राव सिन्धिया को दिया। तब झांसी, ग्वालियर राज्य का एक हिस्सा बन गया। सन‍‍् 1886 में अंग्रेजों ने ग्वालियर राज्य से झांसी को वापस ले लिया।
स्वतंत्र भारत में झांसी को उत्तर प्रदेश में शामिल किया गया था। वर्तमान में झांसी डिवीजनल कमिश्नर का मुख्यालय है, जिसमे  झाँसी, ललितपुर और जालौन जनपद शामिल हैं।
क्षेत्रफल५०२४ वर्ग कि०मी०तहसील की संख्याब्लॉक की संख्यानगर पालिका परिषद की संख्यानगर पंचायत की संख्या न्याय पंचायत की संख्या६५ग्राम पंचायतों की संख्या४९६ग्रामों की संख्या८३९कुल जनसँख्या१९,९८,६०३परिवारों की संख्या३,६७,७७९साक्षरता दर८३.०२ %पुलिस थानों की संख्या२६छावनी बोर्ड
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दर्शनीय स्थल

झाँसी का किला

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महारानी झांसी के किले के शुरुआती समय से रणनीतिक महत्व है। यह बलवंतनगर (वर्तमान में झांसी के नाम से जाना जाता है) में बंगरा नामक एक चट्टानी पहाड़ी पर ओरछा के राजा बीर सिंह जू देव (1606-27) द्वारा बनाया गया था। किले में दस फाटक (दरवाजा) हैं। इनमें से कुछ खंडेराव  गेट, दतिया दरवाजा, उन्नाव गेट, झरना गेट, लक्ष्मी गेट, सागर गेट, ओरछा गेट, सैंयर गेट, चाँद गेट हैं। मुख्य किले क्षेत्र के भीतर महत्वपूर्ण स्थानों में कड़क  बिजली तोप  (टैंक), रानी झांसी गार्डन, शिव मंदिर और गुलाम गॉस खान, मोती बाई और खुदा बख्श की “मजार” हैं। झांसी किला, प्राचीन राजसी गौरव और वीरता की एक जीवित गवाही में मूर्तियों का एक अच्छा संग्रह भी है जो बुंदेलखंड के घटनात्मक इतिहास में उत्कृष्टता  प्रदान करता है |

रानी महल

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रानी लक्ष्मी बाई का महल (रानी महल) की  दीवारों और छतों  को  बहुरंगीन कला और चित्रकला के साथ अलंकृत किया गया है ।
वर्तमान में यह महल एक संग्रहालय में परिवर्तित हो गया है।
इसमें 9वीं और 12 वीं शताब्दी ईस्वी के बीच की अवधि की मूर्तियों का विशाल संग्रह है, जो भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा यहां स्थापित किया गया है।

उ.प्र. सरकार म्यूजियम

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राज्य संग्रहालय में टेराकोटा, कांस्य, हथियार, मूर्तियां, पांडुलिपियों, चित्रकारी और सोने, चांदी और कॉपर के सिक्के का एक अच्छा संग्रह है।
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महा लक्ष्मी मंदिर

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महा लक्ष्मी मंदिर देवी महालक्ष्मी को समर्पित एक प्राचीन मंदिर 18 वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह गौरवशाली मंदिर लक्ष्मी ताल के पास लक्ष्मी “दरवाजा” के बाहर स्थित है।

महाराजा गंगाधर राव की छतरी

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महाराजा गंगाधर राव की समाधि लक्ष्मी ताल पर स्थित है। 1853 में महाराजा गंगाधर राव की मृत्यु के बाद इस प्राचीन स्मारक को उनकी पत्नी महारानी लक्ष्मी बाई ने बनवाया था।

गणेश मंदिर

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गणेश मंदिर, जहां 1857 के स्वंत्रता संग्राम की बहादुर नायिका  महारानी लक्ष्मी बाई और महाराजा गंगाधर राव का विवाह समारोह संपन्न हुआ था । यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है।

अन्य दर्शनीय स्थल :

  • कालीजी का मंदिर
  • मुरली मनोहर का मंदिर
  • पंचकुइयां   मंदिर
  • जीवन शाह की मजार
  • संत जूड  की समाधि व गिरजाघर
  • तलैया मोहल्ला का गुरुद्वारा
  • करगुवां जैन तीर्थस्थान
  • कुञ्ज बिहारी जी का मंदिर


संस्कृति और विरासत

झांसी, जो कभी  बुंदेलखंड का एक अभिन्न हिस्सा था, बुंदेलाओं की कई परंपराओं और रीति-रिवाजों को वर्तमान में भी संजोये रखा है। हालांकि, मुगल और मराठा झांसी के लोगों की संस्कृति पर प्रभाव डालते हैं, क्योंकि दोनों राजवंशों ने शहर का इतिहास रचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्थानीय नृत्य, जो स्थानीय लोगों के जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा हैं, उनकी संस्कृति को सही ढंग से चित्रित करते हैं। बधाई नृत्य, लोकप्रिय रूप से शादियों में और कभी-कभी प्रसव में भी किया जाता है। अकाई नृत्य रूप, मार्शल आर्ट्स से प्रेरित है और नर्तकियां इसे खेलते हुए बांस की छड़ों का उपयोग करती हैं । नोरता  नृत्य, अच्छाई और बुराई के बीच लड़ाई दर्शाता है, जहां हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है। राई नृत्य, एक थाली में सरसों के बीज के आंदोलन  या गतिविधि  से प्रेरित होकर  किया जाता है। ज्वारा नृत्य, एक अच्छी फसल का उत्पादन करने के लिए प्रेरणा-स्वरुप किया जाता है। दिवाली नृत्य, भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति भाव व्यक्त करने के लिए, दिवाली से एक पखवाड़े पहले, ग्वालायों के रूप में वस्त्रों से सुसज्जित लड़कों द्वारा किया जाता है। झांसी परम्पराओं में  नृत्य और संगीत का काफी महत्व है, और स्थानीय लोग हर अवसर पर नृत्य में जोश और उत्साह के साथ बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
हालांकि, यह स्पष्ट है कि भौगोलिक निकटता और सांस्कृतिक समानताओं के कारण, झांसी बुंदेली रीति-रिवाजों, परंपराओं और सांस्कृतिक मानदंडों के साथ स्वयं की एक अलग ही पहचान बनाती है। इन सभी कारणों से, झांसी को “गेटवे टू बुंदेलखंड” के रूप में भी जाना जाता है।


Friday, November 29, 2019

कुमार विश्वास जी की बेहतरीन कवितायें

हादसों की ज़द में है तो क्या मुस्कराना छोड़ दे। 
जलजलों के खौफ से क्या घर बनाना छोड़ दे। 
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मुझे वो मार कर खुश है की सारा राज उस पर है। 
यक़ीनन कल है मेरा आज  बेशक आज उस पर है। 
उसे ज़िद थी झुकाओ सर तभी दाश्तार बख्शूँगा। 
मई अपना सर बचा लाया , महल और ताज उस पर है।  


न पाने की खुसी है कुछ न खोने का ही कुछ ग़म है। 
ये दौलत और शोहरत सिर्फ कुछ जख्मो का मरहम है। 
अज़ाब सी कशमकश  है रोज़ ज़ीने रोज़ मरने में। 
मुकम्मल ज़िंदगी तो है मगर पूरी से कुछ कम है। 


तुम्ही पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता। 
कई जन्मो से बंदी है बगावत क्यों  नहीं करता। 
कभी तुमसे थी जो वो भी शिकायत है ज़माने से।  
मेरी तारीफ करता है मुहब्बत क्यों नहीं करता। 


कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है। 
मगर धरती की बेचैनी को बस बदल समझता है। 
तू मुझसे दूर कैसी है मैं  तुझसे दूर कैसा हूँ। 
ये मेरा दिल समझता है या तेरा दिल समझता है। 


राम ने केवल रावण से बात की, राक्षसों से नहीं, वहीं हमारी सरकार रावण से नहीं स्लीपर सेल से करती हैं बातचीत : कुमार विश्वास



हज़ारो रात का जगा हूँ सोना चाहता हूँ अब 
तुझे मिलके ये पलके भिगोना  चाहता हूँ अब 
बहुत ढूँढा है तुझको खुद में इतना थक गया हूँ मैं। 
की खुद को  सौपकर तुझको खोना चाहता हूँ मैं। 



मैं भाव सूची उन भावों की जो बिके  सदा ही बिन तौले। 
तन्हाई हूँ उस खत की जो पढ़ा गया है बिन खोले। 
हर आंसू को हर पथ्थर तक पहुंचाने  की लाचार  हूक। 
मैं सहज अर्थ उन शब्दों का जो सुने गए हैं बिन बोले। 
जो कभी नहीं बरसा खुल कर हर उस बदल का पानी हूँ 
लव कुश की पीर बिना गाई  सीता की राम कहानी हूँ। 


जिनके सपनो के ताजमहल बनने से पहले टूट गए। 
जिन हाथों में दो हाथ कभी आने से पहले छूट गए। 
धरती पर जिनके खोने और पाने की अज़ाब कहानी है। 
किस्मत की देवी मान गयी पर प्रणय देवता रूठ गए। 
मैं मैली चादर वाले उस कबीरा की अमृत बानी हूँ 
लव कुश की पीर बिना गाई  सीता की राम कहानी हूँ। 


कुछ कहते है  मैं सीखा हूँ अपने ज़ख्मो को खुद सीकर। 
कुछ जान गए मैं हँसता हूँ भीतर भीतर आंसू पीकर। 
कुछ कहते हैं मैं हूँ विरोध से उपजी एक खुद्दार विजय 
कुछ कहते है मैं रचता हूँ खुद में मरकर खुद में जीकर। 
लेकिन मैं हर चतुराई की सोची समझी नादानी हूँ 
लव कुश की पीर बिना गाई सीता की राम कहानी हूँ। 

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प्यार जब जिस्म की चीखों में दफ़न हो जाए। 
ओढ़नी इस तरह उलझे की कफ़न हो जाए। 
घर के अहसास जो बाज़ार की शर्तों में ढलें। 
अज़नबी लोग जो हमराह बनके साथ चलें। 
लवों से आसमा तक सबकी दुआ चुक  जाए। 
भीड़ का शोर जो कानो के पास रुक जाए 
सितम की मारी हुई वक़्त की इन आँखों में 
नमी हो लाख मगर फिर मुस्कुरायेंगे 
अँधेरे वक़्त में भी गीत गाये जायेंगे। 



लोग कहते रहें इस रात की सुबह ही नहीं। 
कहदे सूरज के रौशनी का तज़ुर्बा ही नहीं। 
वो लड़ाई को भले आर पार ले जाएँ 
लोहा ले जाएँ वो लोहे की धार ले जाएँ। 
जिसकी चौखट से  तराजू  तक  उन पर गिरवी 
उस अदालत में हमें बार बार ले जाएँ 
हम अगर गुनगुना भी देंगे तो बो सब के सब 
हमको कागज़ पे हराके भी हार जाएंगे। 
अँधेरे वक़्त में गीत गाये जाएंगे। 



Friday, November 15, 2019

बुन्देलखण्डी धमाकेदार शायरी संग्रह bundelkhandi dhamakedar shayri

1- अब कैसे कयें कै अपनों बना लो हमें।
                                                       अपनी बाहों की कुठरिया में समां लो  हमें।
   एक पल तुमाए बिना कटवो मुश्किल है।
                                                         अब तो अपनी आखन को चश्मा बना लो हमें।😍😍😍😍😍 .


2 - कोऊ को हाथ थाम  कै छोडियो न।
                                                    वादा कोऊ सै करके तोड़ियो ना।
     अगर कोनउ तोड़ दै दिल आपको तो।
                                                          बिना हाथ पांव टोरे छोड़ियो ना।😋😋😋😋😋😋😋😋


3 - लैला के व्याव में एक लफड़ा हो गओ।
                                                          मजनू इतनो नचो कै लंगड़ा हो गओ।
     न तै छत्त पै आती न मै दिवानो होतो।
                                                         न तै पथरा मारती न मैं कनवा होतो। 😝😝😝😝😝😝😝


4 - जी खों हम चुनत है बेई हमें धुनत है।
                                                         चांय वा लुगाई होय चांय नेता दोई किते सुनत है।
    भज्जा हरौ हमाये मरवे के बाद असुवा न बहाइयों।
                                                                जादा याद आय तौ ऊपर ही चले आइयो। 😝😝😝😝😝😝


5 - मोरे प्यार खों बेवफ़ाई कौ नाव दै गई।
                                              मोरे दिल में अपनी यादो कौ पैगाम दै गई।
मैंने कई मोरे दिल में दर्द है तोरे बिना।
                                                वा पगली जात जात झंडू बाम की डिब्बी दै गई। 😋😋😋😋😋😋😋


6 - हम और हमाई तन्हाई।
     कभउँ कभउँ ऐसी बात करत है। .........

    तुम होतीं तौ ऐसौ होतो। .........
     तुम होती तौ वैसो होतो। .........
   अगर तुम न होतो तौ। .......
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;अपने पास भी पइसा होतो 😜😜😜😜😜😜😜



7 - तुमे का पतौ गम का होत है ,
     तुमे का पतो गम का होत है ,
     तुमे का पतो गम कौन खेत की मूली है ;

     काये सैं ,........

     तुमने जीवन भर थूक सै चिपकाओ 😛😛😛😛😛😛😛



8 - कभउँ मुर्गा बना देत तौ कभउँ बतख बना देत ,

     कभउं घुरवा बना देत तौ कभउँ गदा बना देत ,


     पतौ नइयां जौ मास्टर कौन बात कौ बदलौ लेत 😂😂😂😂😂😂




नोट - भज्जा हरौ अगर आप लोगन खों जा पोस्ट अच्छी लगी तो शेयर करवो न भूलियो
           
            🙏🙏  जय बुंदेलखंड जय हिन्द जय भारत 🙏🙏

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Tuesday, November 5, 2019

ग्राम इटायल तहसील मऊरानीपुर के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

इटायल गांव तहसील मऊरानीपुर जिला झाँसी उत्तर प्रदेश के अंतर्गत आता है। यहाँ का पोस्ट ऑफिस इटायल में ही है एवं हैड पोस्ट ऑफिस मऊरानीपुर में है जिसका पिन कोड २८४२०४ है।  इसको गूगल मानचित्र पर देखा जा सकता है
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यहाँ से मऊरानीपुर २३ किमी की दूरी पर है व जिला झाँसी ८७ किमी की दूरी पर स्थित है यहाँ आने जाने के लिए यातायात के साधन उपलब्ध है

शिक्षा क्षेत्र 

इस गांव में चार प्राथमिक विद्यालय है व एक पूर्व माध्यमिक विद्यालय है इसके आलावा  गांव में आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए कोई कॉलेज नहीं है छात्रों को आगे की पढाई करने के लिए दुसरे शहरो में जाना पड़ता है।  

चिकित्सा क्षेत्र 

यहाँ चिकित्सा क्षेत्र में बहुत ही ज्यादा हालत ख़राब है गांव बालो के लिए इलाज कराने को कोई भी मूलभूत सुविधाएं नहीं है लोगो को प्राइवेट डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ता है गांव के लगभग २५ किमी तक कोई अच्छा अस्पताल नहीं है।  

कृषि क्षेत्र 

गाँवो में मुख्य साधन खेती का होता है।  गांव में लगभग 80 प्रतिशत लोग खेती किसानी पर निर्भर है।  किसानी से ही सभी तरह के खर्चो का निर्वहन किया जाता।  यहाँ पर सिचाई के साधनो का आभाव देखने को मिलता है।  साधन न होने से कृषि क्षेत्र की दशा ठीक नहीं है।  

मुख्य स्थान 

यहाँ के लोग बताते है की ये गांव काफी पुराना है।  बड़ी माता मंदिर , बेर वाले हनुमान जी मंदिर , श्री रामजानकी मंदिर , महावीर हनुमान मंदिर , प्राचीन बताये जाते है।  यहाँ बहुत ही पुराने दरवाजे देखने को मिलते है इसीसे इस गांव को प्राचीन होने का प्रमाण मिलता है।  

विद्युत व्यवस्था 

यह बिजली व्यवस्था की हालत अच्छी नहीं है लोगो को ठीक ढंग से बिजली नहीं मिल पाती है और न ही किसानो के खेतो पर बिजली है  सरकार   के प्रयासों के वावजूद भी यहाँ पर बिजली बड़ी मुश्किल से मिल पाती है।  

जनसँख्या 

यहाँ पर लगभग 7000 की आबादी निवास करती है।  इतनी आबादी पर एक ग्राम प्रधान निर्वाचित किया जाता है।  व १५ सदस्य मनोनीत किये जाते।  



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 (1) मास्साब - लरका हरो जो बताव अगर हम शाक सब्जी खात है तौ हम शाकाहारी भये कै मांसाहारी ?       छात्र - मास्साब😉😉😉😉 मांसाहारी भये।      ...